‘ तीसरे तिल में आत्मा का साक्षात्कार होता है।
jaigurudev Bhajan | Jab kabhi yaad aati hai lyrics
Jaigurudev Bhajan | जब कभी है याद आती Jab kabhi yaad aati hai lyrics
जब कभी है याद आती गुरु तेरे दरबार की,
भूल जाती सुध सभी तन धन सुह्रदय परिवार की ।।१।।
कितने ही मंजिल की दूरी पर रहे ये तन मेरा,
याद करते सामने मूरत खड़ी सरकार की ॥२॥
जिसकी नजरों मे समाई मोहनी मूरत तेरी,
उसको रह जाती नही कोई हविश सन्सार की ॥ ३ ॥
सामने सतगुरु के साधक जोड़ कर दोनों खड़ा,
कर रहे बरसात सतगुरु उस पर अमृत धार की ॥ ४ ॥ ॥
प्रेम की मस्ती चढ़ी तो प्रेम यह गाने लगा,
मुझसे पापी जीव को इस पार से उस पार की ॥ ५ ॥
Jaigurudev Bhajan | Jab kabhi yaad aati hai lyrics
jab kabhi hai yaad aati guru tere darabaar ki,
bhool jaati sudh sabhi tan dhan suhriday parivaar ki
kitne hi manjil ki doori par rahe ye tan mera,
yaad karte saamane moorat khadi sarkaar ki
jiski najaron me samai mohani moorat teri,
usko rah jaati nahi koi havish sansaar ki
saamne sataguru ke saadhak jod kar donon khada,
kar rahe barasaat sataguru us par amrt dhaar ki
prem ki masti chadhi to prem yah gaane laga,
mujhse paapi jiv ko is paar se us paar ki
बाबा जयगुरुदेव का संक्षिप्त परिचय | Baba Jaigurudev, Ujjain
बाबा जयगुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध संत स्वामी तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था। बाबा जयगुरुदेव सात साल की उम्र में सत्य की खोज में निकल पड़े।
कई वर्षों तक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा आदि में सच्चे गुरु, भगवांन की खोज करते हुए अलीगढ़ के चिरौली गांव (इगलास तहसील) पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात संत घूरेलाल जी शर्मा (दादा गुरु) से हुई और उन्होंने जीवन भर के लिए उन्हें अपना गुरु मान लिया।
बाबा जय गुरुदेव आजादी से पहले वे अलीगढ़ में अपने गुरु घूरेलाल शर्मा से दीक्षा लेने के बाद वे पहली बार 10 जुलाई 1952 को वाराणसी में प्रवचन देने के लिए समाज के सामने उपस्थित हुए। अपने गुरु से दीक्षा प्राप्त करने बाद, बाबा जयगुरुदेव करीब आधे दशक तक प्रवचन के माध्यम से लोगों को सत्य की राह पर चलने के लिए जगाये।
दुनिया भर को शाकाहारी जीवन जीने का संदेश देने वाले बाबा जय गुरुदेव जीवन भर समाजसेवा में लगे रहे। उन्होंने ग़रीब तबके के लिए निशुल्क शिक्षण संस्थाएं व अस्पताल शुरू किए।
बाबा ने अपने जीवनकाल में निशुल्क शिक्षा-चिकित्सा, दहेज रहित सामूहिक विवाह, आध्यात्मिक साधना, मद्यपान निषेध, शाकाहारी भोजन तथा वृक्षारोपण पर विशेष बल दिया।
सभी शाकाहारी जीवन अपनाएं यही बाबा जय गुरुदेव की अपील है। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए, जीवों की हत्या बंद हो और लोग शाकाहारी बने, इन सब सन्देश को देश के कोने कोने तक पहुँचाया गया।
बाबा जय गुरुदेव का 116 वर्ष की उम्र में शुक्रवार, 18 मई 2012 की रात मथुरा में निधन हो गया। उनके जाने के बाद, बाबा उमाकांत जी महाराज आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बने और जयगुरुदेव मिशन को आगे ले जा रहे हैं।
बाबा उमाकांत जी महाराज (Umakant Ji Maharaj) उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव के नशामुक्त, शाकाहारी परिवार में जन्म हुआ। बाल्यावस्था से ही आध्यात्मिक रुचि के कारण पढ़ाई पूर्ण होते ही सन् 1973 में खिंचकर बाबा जयगुरुदेव के पास पहुँचे। नामदान (दीक्षा) लिया और बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आदेशानुसार सेवा, भजन कार्य में लग गए।
परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने सभी धर्मो से हाथ जोड़कर विनती प्रार्थना और अपील की है की आप सब लोग शाकाहारी हो जाये !
* जयगुरुदेव *
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