जीवन है बेकार भजन बिन | Jeevan hai bekaar bhajan bin

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Jaigurudev bhajan lyrics
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 ‘ चोरी, ठगी, बेईमानी, झगड़ा झंझट से हमेशा दूर रहो । ‘

Jeevan hai bekaar bhajan bin

Jeevan hai bekaar bhajan bin lyrics in hindi

जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में ।
बड़े भाग्य से नर तन पाया, इसमें भी हरी गुण नही गाया
किया ना प्रभु से प्यार भजन बिन दुनिया में ।।

माया ने तुझको बहकाया,
संग चले ना तेरी काया ।
क्यों बनता होशियार, भजन बिन दुनिया में ।।

धन दौलत और महल खजाने,
इनको मूरख अपना माने ।
तू जायेगा हाथ पसार, भजन बिन दुनिया में ।।

क्या लेकर तू आया जग में,
क्या लेकर तू जाएगा संग में
रे मति मन्द गंवार, भजन बिन दुनिया में ।।

जब यमदूत लेने को आवे,
रो रो करके तू चिल्लाये ।
फिर पड़े करारी मार, भजन बिन दुनिया में ।।

जयगुरुदेव की शरण में आओ, अपना जीवन सफल बनाओ।
तब होवे उद्धार।
भजन संग दुनिया में ।।

Jaigurudev daya itni kar do lyrics in english

jeevan hai bekaar bhajan bin duniya mein .
bade bhaagy se nar tan paaya, isme bhi hari gun nahi gaaya
kiya na prabhu se pyaar bhajan bin duniya mein ..

maaya ne tujhako bahkaaya,
sang chale na teree kaaya .
kyon banata hoshiyaar, bhajan bin duniya mein ..

dhan daulat aur mahal khajaane,
inako moorakh apana maane .
tu jaayega haath pasaar, bhajan bin duniya mein ..

kya lekar tu aaya jag mein,
kya lekar tu jaega sang mein
re mati mand ganvaar, bhajan bin duniya mein ..

jab yamadoot lene ko aave,
ro ro karake tu chillaaye .
phir pade karaaree maar, bhajan bin duniya mein ..

jaigurudev kee sharan mein aao, apana jeevan saphal banao.
tab hove uddhaar.
bhajan sang duniya mein ..

बाबा जयगुरुदेव का संक्षिप्त परिचय | Baba Jaigurudev, Ujjain

Jaigurudev Bhajan

बाबा जयगुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध संत स्वामी तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था। बाबा जयगुरुदेव सात साल की उम्र में सत्य की खोज में निकल पड़े। 

कई वर्षों तक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा आदि में सच्चे गुरु, भगवांन की खोज करते हुए अलीगढ़ के चिरौली गांव (इगलास तहसील) पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात संत घूरेलाल जी शर्मा (दादा गुरु) से हुई और उन्होंने जीवन भर के लिए उन्हें अपना गुरु मान लिया।

बाबा जय गुरुदेव आजादी से पहले वे अलीगढ़ में अपने गुरु घूरेलाल शर्मा से दीक्षा लेने के बाद वे पहली बार 10 जुलाई 1952 को वाराणसी में प्रवचन देने के लिए समाज के सामने उपस्थित हुए। अपने गुरु से दीक्षा प्राप्त करने बाद, बाबा जयगुरुदेव करीब आधे दशक तक प्रवचन के माध्यम से लोगों को सत्य की राह पर चलने के लिए जगाये। 

दुनिया भर को शाकाहारी जीवन जीने का संदेश देने वाले बाबा जय गुरुदेव जीवन भर समाजसेवा में लगे रहे। उन्होंने ग़रीब तबके के लिए निशुल्क शिक्षण संस्थाएं व अस्पताल शुरू किए। 

बाबा ने अपने जीवनकाल में निशुल्क शिक्षा-चिकित्सा, दहेज रहित सामूहिक विवाह, आध्यात्मिक साधना, मद्यपान निषेध, शाकाहारी भोजन तथा वृक्षारोपण पर विशेष बल दिया। 

सभी शाकाहारी जीवन अपनाएं यही बाबा जय गुरुदेव की अपील है। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए, जीवों की हत्या बंद हो और लोग शाकाहारी बने, इन सब सन्देश को देश के कोने कोने तक पहुँचाया गया।

बाबा जय गुरुदेव का 116 वर्ष की उम्र में शुक्रवार, 18 मई 2012 की रात मथुरा में निधन हो गया। उनके जाने के बाद, बाबा उमाकांत जी महाराज आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बने और जयगुरुदेव मिशन को आगे ले जा रहे हैं।

बाबा उमाकांत जी महाराज (Umakant Ji Maharaj) उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव के नशामुक्त, शाकाहारी परिवार में जन्म हुआ। बाल्यावस्था से ही आध्यात्मिक रुचि के कारण पढ़ाई पूर्ण होते ही सन् 1973 में खिंचकर बाबा जयगुरुदेव के पास पहुँचे। नामदान (दीक्षा) लिया और बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आदेशानुसार सेवा, भजन कार्य में लग गए। 

परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने सभी धर्मो से हाथ जोड़कर विनती प्रार्थना और अपील की है की आप सब लोग शाकाहारी हो जाये !

* जयगुरुदेव *

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