सतसंग में वह शक्ति है जो लोगों का जीवन बदल देती है।
Tere Bharose Meri Zindgi Hai Lyrics in Hindi
Jaigurudev Bhajan | तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है
तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है,
चरणों में दाता तेरे मेरी बन्दगी है।
रैन दिवस स्वामी तुमको न भूलूं,
जो कुछ मौज हो सब कुछ सहलूं।
टूटे न नाता मेरा यही बन्दगी है,
तेरे भरोसे…।।
बनता नही है मेरा साधन भजन कुछ,
चलती नही है मेरी काबिज मन पर।
रहे याद तेरी बस यही बन्दगी है,
तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है।।
धरम करम का कुछ भी भेद न जानूं,
अपना पराया स्वामी कुछ भी न जानूँ।
सौप दी मैंने तुम्हें अपनी जिंदगी है,
तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है।।
चाहो तुम जिसको स्वामी जरिया बना लो,
नाले को चाहो गंगा दरिया बना लो।
बड़े बड़ो की भी हस्ती मिटी है,
तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है।।
प्रकट रूप तेरा सन्तों में पाऊँ,
जयगुरुदेव स्वामी बली बली जाऊँ।
तुम्हें पाने के पहले मुझमें बड़ी गन्दगी है।।
Jaigurudev Bhajan | Tere Bharose Meri Zindgi Hai lyrics
Tere bharose meri jindagi hai,
charano mein daata tere meri bandagi hai.
Raen divas swami tumako na bhooloon,
jo kuchh mauj ho sab kuchh sahaloon.
toote na naata mera yahi bandagi hai,
tere bharose…..
Banata nahi hai mera saadhan bhajan kuchh,
chalati nahi hai meri kaabij man par.
rahe yaad teri bas yahi bandagi hai,
tere bharose meri jindagi hai..
Dharam karam ka kuchh bhi bhed na jaanoon,
apana paraaya Swami kuchh bhi na jaanoon.
saup di mainne tumhen apani jindagi hai,
tere bharose meri jindagi hai..
Chaaho tum jisako Swami jariya bana lo,
naale ko chaaho ganga dariya bana lo.
bade bado ki bhi hasti miti hai,
tere bharose meri jindagi hai..
Prakat roop tera santon mein paoon,
jaigurudev Swami bali bali jaoon.
tumhen paane ke pahale mujhamen badi gandagi hai..
Read above: Tere Bharose Meri Zindgi Hai Lyrics in Hindi
बाबा जयगुरुदेव का संक्षिप्त परिचय | Baba Jaigurudev, Ujjain
बाबा जयगुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध संत स्वामी तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था। बाबा जयगुरुदेव सात साल की उम्र में सत्य की खोज में निकल पड़े।
कई वर्षों तक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा आदि में सच्चे गुरु, भगवांन की खोज करते हुए अलीगढ़ के चिरौली गांव (इगलास तहसील) पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात संत घूरेलाल जी शर्मा (दादा गुरु) से हुई और उन्होंने जीवन भर के लिए उन्हें अपना गुरु मान लिया।
बाबा जय गुरुदेव आजादी से पहले वे अलीगढ़ में अपने गुरु घूरेलाल शर्मा से दीक्षा लेने के बाद वे पहली बार 10 जुलाई 1952 को वाराणसी में प्रवचन देने के लिए समाज के सामने उपस्थित हुए। अपने गुरु से दीक्षा प्राप्त करने बाद, बाबा जयगुरुदेव करीब आधे दशक तक प्रवचन के माध्यम से लोगों को सत्य की राह पर चलने के लिए जगाये।
दुनिया भर को शाकाहारी जीवन जीने का संदेश देने वाले बाबा जय गुरुदेव जीवन भर समाजसेवा में लगे रहे। उन्होंने ग़रीब तबके के लिए निशुल्क शिक्षण संस्थाएं व अस्पताल शुरू किए। बाबा ने अपने जीवनकाल में निशुल्क शिक्षा-चिकित्सा, दहेज रहित सामूहिक विवाह, आध्यात्मिक साधना, मद्यपान निषेध, शाकाहारी भोजन तथा वृक्षारोपण पर विशेष बल दिया।
सभी शाकाहारी जीवन अपनाएं यही बाबा जय गुरुदेव की अपील है। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए, जीवों की हत्या बंद हो और लोग शाकाहारी बने, इन सब सन्देश को देश के कोने कोने तक पहुँचाया गया।
बाबा जय गुरुदेव का 116 वर्ष की उम्र में शुक्रवार, 18 मई 2012 की रात मथुरा में निधन हो गया। उनके जाने के बाद, बाबा उमाकांत जी महाराज आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बने और जयगुरुदेव मिशन को आगे ले जा रहे हैं।
बाबा उमाकांत जी महाराज (Umakant Ji Maharaj) उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव के नशामुक्त, शाकाहारी परिवार में जन्म हुआ। बाल्यावस्था से ही आध्यात्मिक रुचि के कारण पढ़ाई पूर्ण होते ही सन् 1973 में खिंचकर बाबा जयगुरुदेव के पास पहुँचे। नामदान (दीक्षा) लिया और बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आदेशानुसार सेवा, भजन कार्य में लग गए।
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* जयगुरुदेव *
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