यही वंदना है गुरु से बारंबार Yahi Vandana Hai Guru Se Lyrics

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देश की शान बनाए रखने के लिए देश भक्त बनो।
Yahi Vandana Hai Guru Se Lyrics in Hindi

Jaigurudev Bhajan | यही वंदना है गुरु से बारंबार

यही वंदना है गुरु से बारंबार।
हमारा देश फूले फले,
कि प्यारा देश फूले फले ।।1

शाकाहार प्रचार की बजे शहनाई,
गूंज उठे उपवन बाग अमराई,
बहे मंद मंद चांदनी बयार ।।2

फूले पलाश वन बाग अमराई,
कोयल शुक पपीहा की बोली सुहाई,
एक तार में अनेक झंकार ।3

नये वर्ष की नयी भावना जगाऊं,
प्रेम थाल लेके नयी आरती सजाऊं,
मिले गुरु चरण कमलों का प्यार ।।4

मृदुल मोहिनी रूप गुरु जी तुम्हारा,
सुभग सलोना रूप लगे अति प्यारा,
बहे नैनों से अमृत की धार ।।5

मिला है इशारा समय अच्छा नहीं है,
भूत है सवार लोग सुनते नहीं है,
कहीं नैया ना डूबे मझधार ।।6

होगा नरसंहार सुनकर हृदय कांपता है,
भारी भयंकर दृश्य नैन भांपता है,
कैसी होगी ये कुदरत की मार ।।7

दुखों का पहाड़ जब टूट ही पड़ेगा,
त्राहिमाम त्राहिमाम जग में मचेगा,
दुखों की ये बदली दो टार ।।8

चारों तरफ प्रभु के जब भीड़ लग जाएगी,
इन्ही को निहारने की होड़ मच जाएगी,
होगी बेबसी में तेरी ही पुकार ।।9

बंदे रो पड़ेंगे तो निदान क्या होगा,
दया के निधान का विधान क्या होगा,
फूट पड़े तेरी रहमत की धार ।।10

धार्मिक सामाजिक राजनैतिक परिवर्तन,
आर्थिक दशाओं से मचेगा जब क्रंदन,
याद आएगें प्रभु बारंबार ।।11

पापी गुनहगार हम भी यही चाहते हैं,
बार बार दया की भीख प्रभु से मांगते हैं,
क्षमा करना हमें सरकार ।।12

बोलो जयगुरुदेव आप सन्मुख मिलेंगे,
रक्षा सम्हाल दुःख दर्द सब हरेंगे,
यही महिमा है सतगुरु तुम्हार ।।13

यही वंदना है गुरु से बारंबार।
 हमारा देश फूले फले,
कि प्यारा देश फूले फले ।।14

Jaigurudev Bhajan | Yahi Vandana Hai Guru Se lyrics

Yahi vandana hai guru se baarambaar.
hamaara desh phoole phale,
ki pyaara desh phoole phale ..1

Shakahaar prachaar ki baje shahanayi,
goonj uthe upavan baag amarayi,
bahe mand mand chaandani bayaar..2

Phoole palaash van baag amarayi,
koyal shuk papeeha ki boli suhayi,
ek taar mein anek jhankaar.3

Naye varsh ki nayi bhaavana jagaoon,
prem thaal leke nayi aarti sajaoon,
mile guru charan kamlon ka pyaar..4

Mrdul mohini roop guru jee tumhaara,
subhag salona roop lage ati pyaara,
bahe nainon se amrt ki dhaar..5

Mila hai ishaara samay achchha nahin hai,
bhoot hai savaar log sunate nahin hai,
kaheen naiya na doobe majhdhaar..6

Hoga narasanhaar sunkar hrday kaampta hai,
bhaari bhayankar drshy nain bhaampta hai,
kaisee hogi ye kudrat ki maar..7

Dukhon ka pahaad jab toot hi padega,
traahimaam traahimaam jag mein machega,
dukhon ki ye badli do taar..8

Chaaron taraf prabhu ke jab bheed lag jaegi,
 inhi ko nihaarne ki hod mach jaegi,
hogi bebasi mein teri hi pukaar..9

Bande ro padenge to nidaan kya hoga,
daya ke nidhaan ka vidhaan kya hoga,
phoot pade teri rahamat ki dhaar..10

Dhaarmik saamaajik raajanaitik parivartan,
aarthik dashaon se machega jab krandan,
yaad aaegen prabhu baarambaar..11

Paapi gunahagaar ham bhi yahi chaahate hain,
baar baar daya ki bheekh prabhu se maangate hain,
kshama karana hamen sarkaar..12

Bolo jaigurudev aap sanmukh milenge,
raksha samhaal dukh dard sab harenge,
yahi mahima hai sataguru tumhaar..13

yahi vandana hai guru se baarambaar.
hamaara desh phoole phale,
ki pyaara desh phoole phale..

बाबा जयगुरुदेव का संक्षिप्त परिचय | Baba Jaigurudev, Ujjain

Jaigurudev Bhajan

बाबा जयगुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध संत स्वामी तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था। बाबा जयगुरुदेव सात साल की उम्र में सत्य की खोज में निकल पड़े। 

कई वर्षों तक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा आदि में सच्चे गुरु, भगवांन की खोज करते हुए अलीगढ़ के चिरौली गांव (इगलास तहसील) पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात संत घूरेलाल जी शर्मा (दादा गुरु) से हुई और उन्होंने जीवन भर के लिए उन्हें अपना गुरु मान लिया। 

सभी शाकाहारी जीवन अपनाएं यही बाबा जय गुरुदेव की अपील है। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए, जीवों की हत्या बंद हो और लोग शाकाहारी बने, इन सब सन्देश को देश के कोने कोने तक पहुँचाया गया।

बाबा जय गुरुदेव का 116 वर्ष की उम्र में शुक्रवार, 18 मई 2012 की रात मथुरा में निधन हो गया। उनके जाने के बाद, बाबा उमाकांत जी महाराज आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बने और जयगुरुदेव मिशन को आगे ले जा रहे हैं।

बाबा उमाकांत जी महाराज (Umakant Ji Maharaj) उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव के नशामुक्त, शाकाहारी परिवार में जन्म हुआ। बाल्यावस्था से ही आध्यात्मिक रुचि के कारण पढ़ाई पूर्ण होते ही सन् 1973 में खिंचकर बाबा जयगुरुदेव के पास पहुँचे। नामदान (दीक्षा) लिया और बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आदेशानुसार सेवा, भजन कार्य में लग गए। 

* जयगुरुदेव *

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